Thursday 8 September 2016

क्रान्तिकारी माँ राधा

यशोदा के भाई का नाम था रायाण जो बहुत ही क्रन्तिकारी धार्मिक थे जिनकी पत्नी का नाम था राधा। रायाण ने एक क्रन्तिकारी संगठन बनाया हुआ था जिसका नाम रखा था राधा। संगठन का नाम राधा रखने के दो कारण थे, पहला कारण यह था कि रायाण जी अपनी अर्धांगनी को बहुत प्रेम करते थे क्योंकि स्वयं राधा भी बहुत धार्मिक क्रन्तिकारी विचारधारा की वीरांगना थी। और दूसरा कारण अध्यात्मिक था। धारा का विलोम शब्द है राधा। जो काम ऊर्जा सामान्य रूप से अघ:पतन की ओर बह रही होती है, संयम साधना के द्वारा उसकी प्रवाह की दिशा बदल देना, उसे ऊर्ध्वगामी कर देना ही राधा है, काम का राम में रूपांतरण करने का नाम राधा है। ये संगठन उन्होंने कंस की क्रुर शासन व्यवस्था के विरोध में बनाया था। रायाण जी की कंस से विरोध के चलते हत्या हो गयी थी तब श्री कृष्ण के तेज दिमाग साहस और कर्तव्यनिष्ठा आदि को देख उस राधा नामक संगठन के लोगों ने काम आयु के होते हुए भी श्री कृष्ण को उस संगठन का प्रतिनिधित्व सौप दिया था। श्री कृष्ण के प्रतिनिधित्व में वो राधा नमक संगठन बहुत तेज गति से कंस के क्रूर शासन के विरोध में आगे बढ़ रहा था और इसी संगठन के सहारे श्री कृष्ण ने कंस को मात्र 14 वर्ष की आयु में वध कर दिया। राधा नामक संगठन श्री कृष्ण को अत्यधिक प्रेम करता था और श्री कृष्ण भी उस संगठन के प्रति बहुत आत्मीयता रखते थे। महाभारत में इस बात का जहाँ तहाँ प्रमाण मिल जायेंगे। लेकिन अज्ञानी धर्म के ठेकेदारों ने हमारे पितातुल्य महान चरित्र वाले भगवान श्री कृष्ण को चूड़ी बेचने वाला रास रचाने वाला छलिया रसिया नचैया और न जाने क्या क्या बना दिया। इतिहास प्रमाण है कि जो जाति अपने महान पूर्वजों का सम्मान नहीं करती उसका अस्तित्व ही नहीं रहता। मुसलमान कितना भी नीच पिशाच क्यों न हो, लेकिन वो मोहम्मद के खिलाफ एक शब्द नहीं सुन सकता और एक हम है जो स्वयं ही ----------। अब क्या कहूँ स्वयं ही चिंतन कर लो और भविष्य देख लो अपना।
🙏🏻सनातन संस्कृति संघ🙏🏻
आप सभी को राधाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं...

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