Thursday 8 September 2016

जय भवानी जय शिवाजी

वह क्या कारण थे कि, शिवाजी महाराज के समय में हर जगह भगवा रंग नजर आ रहा था और हर-हर महादेव का राग चारों  दिशाओं से सुना जा सकता था?

जब आप शिवाजी महाराज के पूरे जीवनकाल को पढ़ते हैं तो आपको वहां शिवाजी महाराज के ऐसे कई निर्णय नज़र आयेंगे जिसके कारण यह सब संभव हुआ था।
तो आज हम आपके लिए उन्हीं निर्णयों में से पांच प्रमुख निर्णय लायें हैं और आज भी यह बातें हर व्यक्ति को एक सफल व्यक्ति बना सकती हैं।

1. उस समय में पुस्तकों में हुए थे बड़े बदलाव शिवाजी महाराज महसूस कर रहे थे कि, 16 सदी में मुस्लिम शासकों ने भारतीय इतिहास के साथ बहुत खिलवाड़ किया है और हिंदू धर्म पुस्तकों में भी अनेक अरबी शब्द और उर्दूं शब्दों को घुसेड कर हमारे हिंदू युवाओं को मुस्लिमो द्वारा षड्यंत्र करके भ्रमीत किया जा रहा था।
एक अनुमान के अनूसार बाबर और मुग़ल ने तब तक हिन्दुस्थान की कई पुस्तकों में 60% प्रतीशत मूलभूत हिन्दुस्तानी शब्दों को ही खत्म कर दिया था, इसके कारण हिंदू युवा उर्दू की तरफ बढ़ रहे थे, और उन्हीं का रचाइतिहास पढ़ना शुरू कर रहे थे। मुस्लिम शासकों की इसी चाल को समझते हुए शिवाजी महाराज ने भारतीय इतिहास वापस किताबों से जोड़ा और यह उनकी बड़ी सफलता थी। अब कुछ ऐसा ही वर्तमान में हो रहा है, क्योंकि, हमारा अपना सत्य इतिहास पुस्तकों से गायब है।

2. हिन्दू एकजुटता से शिवाजी महाराज ने 15 साल की उम्र में अपनी पहली लड़ाई लड़ी थी एवं जीती भी थी। इस सफलता के पीछे जो मुख्य कारण हिन्दुओं की एकजुटता थी।
शिवाजी महाराज ने अपने स्तर पर हर हिन्दू राजा को खुद से जोड़ने के प्रयास किये। इसका फल यह हुआ कि, जो हिन्दू अभी तक अलग-थलग भटक रहे थे वह एक हो गये और एक साथ होकर लड़ने लगे।
अपितू उन्हों ने हिन्दुओं को एकता का बल दिखाया था।

3. हिंदू सनातन धर्म रहेगा तो ही हम बचे रहेंगे..!!
शिवाजी महाराज इस बात को मानते थे कि, अगर धर्म रहेगा तो हम रहेंगे और धर्म खत्म हो गया तो हिन्दू खुद ही खत्म हो जायेंगे। जैसा कि, मुस्लिम शासक सीधे हिंदू धर्म पर चोट कर रहे थे..!!! उन्हों ने सिर्फ और सिर्फ धर्म की रक्षा की और धर्म ने ही हिन्दुओं की रक्षा की थी।
अतः आज हमें धर्म की रक्षा की प्रण-व्रत लेना आवश्यक है..!!!

4. बलिदान से कभी नहीं डरे। शिवाजी शिवाजी महाराज जानते थे कि, इतिहास जीतने वालों को हमेशा यद् रखता है और जीत बलिदान भी मांगती है।
शिवाजी ने कभी यह नहीं देखा कि, शत्रू कौन हैं और कितने हैं। शिवाजी महाराज अगर निर्णय करते थे कि, अब मातृभूमि की रक्षा इस दुश्मन से करनी है तो उस निर्णय से फिर हटते नहीं थे। यही इनका निर्णय इनको सभी योद्धाओं में इतना प्रमुख बना देता था।

5. कभी दुश्मन पर विश्वास नहीं करने का निर्णय शुरुआत में कई बार शिवाजी महाराज ने दुश्मनों पर विश्वास किया था लेकिन एक समय बाद शिवाजी महाराज ने तय कर लिया था कि, अब दुश्मन पर विश्वास नहीं करना है। औरंगजेब ने शिवाजी को अनेक धोखे दिए थे लेकिन बाद में जब शिवाजी महाराज का असली रूप इसने देखा था तो वह झुकने पर मजबूर हो गया था।
इसलिए हमें भी आज हिंदूधर्म के दुश्मनों की पहचान करके उन पर कभी भी लेशमात्र विश्वास नहीं करना चाहिए..!!!

शिवाजी महाराज के जीवन से हमें इस तरह के कई सफलता मंत्र प्राप्त हो सकते हैं।
लेकिन,
असल बात यह है कि, हम हिंदू शिवाजी महाराज के जीवन यात्रा को पढ़ ही नहीं रहे हैं।
शिवाजी जी से हमें गीता ज्ञान जैसी कई महत्वपूर्ण बातें मिल सकती हैं और इन बातों को अगर हिन्दू घोल के पी जाएँ तो फिर कोई भी इस धर्म पर चोट नहीं कर सकता है..!!!
।।जयतु जयतु हिंदू राष्ट्रम् ।।

🚩सनातन संस्कृति संघ के सदस्य बनकर भारत व सनातन धर्म- संस्कृति की रक्षा व सम्वर्धन के अभियान में अपना सक्रीय योगदान दें।


सनातन संस्कृति संघ के सदस्य बनने के लिए अपने नाम परिचय के साथ हमें 08126396457 पर वाट्सएप्प करें।

No comments:

Post a Comment